मांग भरने कि सज़ा कुछ इस कद्र पा रहे हैं;
कि मांग पूरी करते-करते ही, मरे जा रहे हैं!
जीतो: अकेली आई होगी?
संता: तुम्हें कैसे पता?
जीतो: उसका पति मेरे ख्वाब में आया था!
पति: कुछ नहीं, अलाह सिर्फ मजलूम की ही सुनता है!
तू करता वो है, जो तू चाहता है;
पर होता वो है, जो मैं चाहती हूँ!
तू वो कर, जो मैं चाहती हूँ;
फिर वो होगा, जो तू चाहता है!
जीतो: तुम्हें ऐसा क्यों लगा?
संता: तुझे देख कर आज कल रोटियाँ भी जल रही है!
संता: मैं तुमसे इतना प्यार करता हूँ कि तुम्हारा जूठा जहर भी पी सकता हूँ, अगर यकीन न हो तो आजमा कर देख लो!
No comments:
Post a Comment